शुक्रवार, 4 जून 2010

स्वतंत्रता संग्राम के अमर गीत ( ३ )

भारत के स्वाधीनता संग्राम में जहाँ आजादी के लिये क्रांतिकारी अपने प्राण हथेली में लेकर अंग्रेजों से लड़ते रहे वहीँ राष्ट्रभक्त रचनाकार ऐसी रचनाओं का सृजन करते रहे जिससे स्वाधीनता संग्राम में चेतना का संचार हो और जनमानस पराधीनता की बेडी तोड़कर फेंकने को तत्पर हो।

मेरे पिछले दो लेखों में आपने कुछ ऐसी ही रचनाओं का अवलोकन किया, प्रस्तुत हैं कुछ अन्य रचनाएं----

गीतकार श्री श्याम सुन्दर शर्मा 'कलानिधि' की रचना के अंश ---------

हम हिन्दू है, हिन्दू - जीवन का,
हमको सतत स्वाभिमान॥
मुगलों से होकर स्वतंत्र हम हुए
पुनः परतंत्र हाय अंग्रेजों के हाँथ,
पर अंग्रेजों को याद हमारी,
सन सत्तावन की कृपाण,
हम हिन्दू हैं----
चित चाह बसंती चोला की,
दे-दे पूर्णाहुति मुक्ति हेतु,
हम खेलें फांसी, गोली से,
फहराने को राष्ट्रीय केतु।
हिल उठी ब्रिटिश इम्फाल भूमि-
तक देख हमारा अधिष्ठान,
हम हिन्दू हैं, हिन्दू जीवन का
हमको सतत स्वाभिमान॥

किसी कवी ने भारत की नारियों के बलिदान को अपने शब्दों से कुछ इस प्रकार संवारा----

हिन्दू-नारियों के बलिदान की कथा पढो,
दुर्ग में चित्तौर के लिखी जो रज-रज में।
चुनी जो चिनाब में, विपत्ति झेल झेलम में,
रावी में रुधिर रख लाज सतलज में॥

कवि शिव दुलारे मिश्र ने सत्य ही कहा है----

स्वतंत्रता की पूजा के हित हमने जीवन-थाल संवारा है,
अगणित वीरों की अमर ज्योति से ज्योतित मार्ग हमारा है॥

कवि माखन लाल चतुर्वेदी की अमर कविता 'पुष्प की अभिलाषा' शरीर को झंकृत कर देती है----

----मुझे तोड़ कर वनमाली ! उस पथ पर देना तुम फेंक,
मात भूमि पर शीश चढाने जिस पथ जावें वीर अनेक॥

स्वतंत्रता के दीवाने कवि शिरोमणि श्री छैल बिहारी मिश्र 'कंटक' जेल यात्रा, स्वाधीनता आन्दोलन के साथ साथ अपने गीतों के द्वारा जनमानस को भी स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ते थे----

देख दासता दूषित दुर्बल, दीन देश का हाहाकार,
सहमे, ह्रदय भी हिल गया, आँखों से निकली अश्रुधार,
धधकी अंतस्तल की ज्वाला, कठिन हो गया पाना त्राण,
सुख से समरांगनमें कूदे, लिये हथेली पर निज प्राण॥

बंकिम चन्द्र चटर्जी का गीत ' वन्दे मातरम ' क्रांतिकारियों के बीच काफी लोकप्रिय था, साथ ही हर आन्दोलन में बड़े जोर शोर से गाया जाता था। 'वन्दे मातरम' गीत की प्रशंसा में एक गीत लिखा गया, गीतकार के नाम से अनजान हूँ परन्तु गीत बहुत लोकप्रिय हुआ----

हम हिन्दुस्तानियों के गले का हार वन्दे मातरम,
छीन सकती है नहीं सरकार वन्दे मातरम्॥
सर चढों के सर में चक्कर उस समय आता जरूर
कान में पहुंची जहां झंकार वन्दे मातरम्॥
मौत के मुंह पर खड़ा हूँ कह रहा जल्लाद से
झोंक दे सीने में अब तलवार वन्दे मातरम्॥
ईद, होली और दशहरा शबरात से भी सौ गुना
है हमारा लाडला त्यौहार वन्दे मातरम्॥
जालिमों का जुल्म भी काफूर सा हो जाएगा
फैसला तो होगा अब सरे दरबार वन्दे मातरम्॥

शेष अगले लेख में----

वन्दे मातरम्-----

भारत माता की जय----

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