रविवार, 6 जून 2010

स्वतन्त्रता संग्राम के अमर गीत ( ४ )

"वन्दे मातरम" के दो शब्दों के सहारे देश की आजादी के दीवानों ने तोपों के मुंह और फांसी के फंदों को चूमा और हंसते - हंसते शहीद हो गये। क्रांतिकारियों को इस देश के रचनाकार, लोकगीतकार, कवि और शायरों ने अपने गले का हार बनाया और नित नए-नए गीतों की रचना की। शताब्दियों से पराधीन, अपमानित, और रूढिग्रस्त समाज के ठहरे हुए जल में अपनी रचनाओं के द्वारा ज्वार पैदा किया।

कानपुर के कवि और स्वतन्त्रता सेनानी स्व० श्री श्याम लाल गुप्त 'पार्षद' द्वारा रचित झंडा गीत बहुत प्रचलित हुआ--------

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाले,
वीरों को हरषाने वाला,
मात-भूमि का तन-मन सारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा॥

क्रांतिकारियों के प्रिय गीत जो वे अक्सर गाया करते थे------------

मेरे शोणित की लाली से, कुछ तो लाल धरा होगी ही,
मेरे वर्तन से परिवर्तित, कुछ परम्परा होगी ही॥
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ऐ मात-भूमि जननी सेवा तेरी करेंगे,
तेरे लिये जियेंगे, तेरे लिये मरेंगे॥
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मेरी जाँ ना रहे मेरा सिर ना रहे, सामाँ ना रहे ना ये साज रहे,
फकत हिंद मेरा आजाद रहे, आजाद रहे, आजाद रहे॥
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माँ, कर विदा आज जाने दे,
जग में तेरा मान बढाने धर्म-कर्म का पाठ पढ़ाने,
वेदी पर बलिदान चढाने, सर में बाँध कफ़न आजादी के दीवाने,
माँ, रण चढ़ लौह चबाने दे,
माँ, कर विदा आज जाने दे॥
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कवि, लिख तो कविता ऐसी लिख,
जिसमें मृदु प्रेम पराग ना हो,
दीपक पतंग कविता तरंग,
कोयल बुलबुल का राग ना हो,
धकधका उठे त्रिभुवन सारा,
ठंडी जिसकी आग ना हो॥

समस्तीपुर जनपद बिहार के निवासी श्री विद्याभूषण मिश्रा 'मयंक' की सन १९४२ की एक रचना का अंश-----

त्रिशूल नीलकंठ से पुनः मांग लो, बढ़ो,
अभीष्ट सिध्द के लिये हिमाद्रि तुंग पर चढो,
ज्वलंत अग्नि पिंड सा प्रचंड वेग लो बढ़ो,
अनिष्ट झेलने अमर्त्य शूरमा बढ़ो-बढ़ो,
चक्रव्यूह भेदने, बढ़ो सृष्टि के महान,
रण भैरवी बजी सुनो उठो, देश के जवान॥

कवि रत्नेश एक भावुक कवि थे परन्तु उनकी भावुकता के पीछे देश की आजादी के लिये आग भरी थी-----

धरती मांग रही बलिदान, बच्चों-बूढों बढ़ो जवान,
सभी संपदा अपनी है, ये धरती अपनी जननी है॥

प्रसाद जी की लेखनी से भी उस समय शब्द रुपी शोले झर रहे थे--------------------

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती,
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला, स्वतन्त्रता पुकारती,
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ प्रतिज्ञ से चलो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढे चलो, बढे चलो॥



वन्दे मातरम----------------------

भारत माता की जय----------------------

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