रविवार, 25 अप्रैल 2010

भारत- एक राष्ट्र

वीर शिवा का सिंहनाद, याद जरा फिर करो तुम.
भगत, आजाद, प्रताप की गाथा का जरा ध्यान करो तुम.
वो संकट के मेघ काले देखो फिर से न घिर आयें कहीं.
राह में कंटक देखो फिर से न बिछ जाएँ कहीं.

वैदिक काल से समकाल तक के विश्व-इतिहास का अध्ययन करने पर किसी बुद्धिजीवी को भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता विश्व में प्रचलित और लुप्त हुई किसी भी संस्कृति और सभ्यता से अलग ही प्रतीत होगी. भारत की संस्कृति, दर्शन, मान्यता, सामाजिक व्यवस्था एवं सहिष्णुता ही भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता एवं प्राणवायु है.

परन्तु क्या अब विश्व में हमारी सहिष्णुता कायरता के रूप में देखी जाने लगी है? विश्व के अन्य देश क्या अब हमें भीरु समझने लगे हैं?

भारत का इतिहास साक्षी है की सहस्त्रों वर्षों के काल खंड में यवन, शक, हूण, कुषाण आदि अनेक आक्रान्ताओं ने इस पुण्य भूमि को पददलित करने का प्रयास किया, परन्तु इस राष्ट्र की प्राणवायु ने अपनी आभा, ओज और प्रखर शक्ति से आततायिओं के सारे सपने धूल- धूसरित तो किये ही साथ ही उन आततायिओं को अपने में पूर्णतः आत्मसात भी कर लिया. इनके बाद मुग़ल आक्रान्ताओं ने भारत पर आक्रमण कर शासन किया. भारतवंशियों को मुग़ल शासन में अनेक अत्याचार सहने पड़े, आगे चल कर मुग़ल शासकों को भारतवंशियों के आगे झुकना पड़ा. मुग़ल शासक अपने शासनकाल के अंत समय में भारतीय परिवेश में रचते-बसते चले गये. साथ ही भारत में एक नए समाज का निर्माण हुआ जिसे अब मुस्लिम समाज के नाम से पुकारा जाता है. भारत का हिन्दू और मुस्लिम समाज आपस में बहुत घुल-मिल गया था. परन्तु एक बार फिर से भारत को विदेशी शासन का सामना करना पड़ा. इस बार धूर्त अंग्रेज व्यापारिक उद्देश्य से भारत में प्रविष्ट हुए और भारत की कुछ कमजोरियों का लाभ उठाकर भारत में शासन करने लगे. अनेक वर्षों के अंग्रेजों के शासनकाल में भारतीय समाज को अपमान एवं अत्याचार उठाना पड़ा. जिससे पीड़ित होकर भारतवंशियों ने क्रूर अंग्रेजों से उन्ही की भाषा में जवाब देकर अपने को आजाद कराया भारत के क्रांतिकारियों ने अंग्रेज शासकों को भी भारत का शासन छोड़ने के लिये मजबूर कर दियापर धूर्त अंग्रेज भारत की प्राणवायु में कुछ विष घोलने में सफल रहे. बहुत अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है की अंग्रेजों ने भारत को आजाद तो किया पर भारत के टुकड़े भी कर दिए, और हमें खंडित भारत से ही संतोष करना पड़ा.

हिन्दू और मुस्लिम समाज के कुछ सत्तालोलुप और कायर नेताओं ( हालाँकि हमें उनको नेता कहने में शर्म आती है ) ने अंग्रेजों का साथ दिया जिससे वे अपनी चाल में कामयाब रहे और भारत के टुकड़े करके पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के रूप में एक नया देश बना दिया. पर यह भी सत्य है की जिसकी बुनियाद झूठ-फरेब और भीख से भरी गयी हो वह ज्यादा दिन टिक नहीं पाती. इसी कारण पाकिस्तान को अपना एक भूभाग जिसको पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था खोना पड़ा. भारत की दृढ नीतियों और सुदृढ़ सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान को उसी के घर में कैद कर उसका एक टुकड़ा आजाद देश बांगला देश के रूप में विश्व के सामने खड़ा कर दिया. जिसको विश्व ने सहर्ष स्वीकार किया.

परन्तु उस समय के कुछ राजनेताओं ने विश्व के अन्य देशों के दबाव में आकर भयंकर त्रुटियाँ की. पाकिस्तान के हज़ारों सैनिकों ने भारत की सेना के सामने हथियार डालते हुए घुटने टेक दिए थे. हमारे युद्धबंदी हो गये थे. उन युद्धबंदियों के सहारे हम अपना खोया हुआ कश्मीर वापस पा सकते थे. परन्तु शायद भारत के भाग्य में ऐसा नहीं था. भारत के तत्कालीन राजनेता दृढ इच्छाशक्ति नहीं रख सके जिसके परिणामस्वरूप भारत का मुकुट आधा काश्मीर आज भी गुलाम है.

आज वही पाकिस्तान, गुलाम कश्मीर, बंगला देश भारत में आतंकी साजिशें रचाते हैं, आतंकवादी तैयार करते हैं, उनको पूरा प्रशिक्षण देते हैं. विश्व की सामने यह भी साफ़ हो गया है की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई इस कार्य को पूरा अंजाम देने तथा भारत के अन्दर आतंक फैलाने का एकमात्र सूत्रधार है. आई एस आई द्वारा प्रशिक्षित आतंक वादी कश्मीर घाटी की केसर की क्यारियों को रौंदते हैं, कभी भारत की औद्द्योगिक राजधानी मुम्बई को निशाना बनाते है, कभी भारत के संविधान की रक्षक संसद भवन में घुसते हैं, कभी पंजाब, असाम, बंगाल, छतीसगढ़ आदि प्रदेशों में आतंक फैलाते हैं.

पाकिस्तान और उसके सहयोगियों द्वारा प्रायोजित इस आतंकवाद का भारत क्या जवाब देता है? सिर्फ पाकिस्तान से सयंम बरतने की अपील. बात न करने की धमकी. क्या इससे इस ज्वलंत समस्या का हल हो जाएगा? क्या इससे पकिस्तान अपने द्वारा प्रायोजित आतंक और अपने द्वारा पोषित आतंकवादियों को रोक देगा?

कदापि नहीं ---------------------

हमें फिर से अपने इतिहास का सत्यान्वेषण करना होगा. हमें फिर भारत की संघर्ष शक्ति का प्रदर्शन करना होगा. हमें अपनी नीतियों पर चलना होगा. अन्य देशों के दबाव में ना आकर अपनी सैन्य शक्ति पर भरोसा और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना होगा.

यहाँ पर छत्रपति शिवाजी का उदाहरण प्रासंगिक है, की उन्होंने कैसे अपने सात -आठ हजार सैनिकों के बल पर और अपने युद्ध कौशल तथा ठोस निर्णय के द्वारा मुगलों के लाखों सैनिकों को पछाड़ कर अपनी विजय पताका फहराते चले गये. हमें ध्यान रखना होगा की कैसे बाजी राव पेशवा ने अपने प्रचंड युद्ध से मुग़ल शासकों की नींद हराम कर दी थी. हमें अपने बाहुओं को बल देने के लिये याद रखना चाहिए की कैसे महराना प्रताप ने हल्दी घाटी में अकबर और देशद्रोही मानसिंह का मान मर्दन किया था. गुरु गोविन्दसिंह जी महाराज के त्याग और बलिदान की अमर गाथा को दोहराना होगा.

देश के कर्णधारों ने जब -जब अपनी सत्ता और सिंहासन को प्राथमिकता दी तथा देश हित को गौण मान लिया, तब-तब ही देश की विजयगाथा कूटनीति क्षेत्र में हार की लकीरों में बदलती आई है. पाकिस्तान का मान मर्दन कर जब भारत ने आज के बांगला देश की रचना में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई थी, यदि तब वहां के करोडो निवासियों को मजबूत लोकतान्त्रिक व्यवस्था दिलाने में भी मदद करते तो आज पाकिस्तान और बंगला देश भारत में आतंकी जूनून के कांटे बिखेरने का दुस्साहस न करते.

भारत में विद्यमान कठिन स्थिति से निजात पाने का एकमात्र प्रभावी उपाय पाकिस्तान और अन्य जगहों पर स्थित आतंकी अड्डों का समूल विद्ध्वंश करना ही है. ऐसा होने पर भारत में बिछाए जा रहे आतंकवादी जाल के अंगारे दबेंगे तथा पाकिस्तान और अन्य आतंकियों को पनाह देने वाले तत्वों पर तुषारापात होगा.

अब समय आ गया है की भारत के जन-जन को अपने दलगत, पन्थ्गत , और सम्प्रदायगत मतभेदों को भुला कर एक सुदृढ़ भारत बनाना होगा. भारत की विजय वाहिनी को खुला अवसर देना होगा. तभी भारत की अखंडता को अक्षुण रखा जा सकेगा.

यहाँ पर मैं अपने गुरु परम श्रद्धेय पंडित ओउम शंकर त्रिपाठी जी द्वारा रचित कविता के कुछ अंश प्रस्तुत करना चाहूँगा----

रिसते घावों का दर्द यही दुहराता
सर पर खंजर का वार चुभा चिल्लाता
ओ बापा की संतान नींद को त्यागो
हुंकार हरी सिंह नलवा की अब जागो.

पाकिस्तानी विषधर फुंकार रहा है
जागो जन्मेजय देश पुकार रहा है
आहुतियाँ बाकी हवन अग्नि धधकाओ
होता बन फिर से सोए मंत्र जगाओ.

स्वाहा करके विष-वंश शांति को लाओ
ओ बुद्ध ! देशहित आओ खडग उठाओ
अब नहीं शांति-उपदेश छिड़ गया रण है
क्षण भी नहीं विराम हमारा प्रण है.

कर सारे सफल प्रयास देश फिर जोड़ो
कायरता की जंजीरें जकड मरोड़ो
जागो चन्द्रवरदाई भैरव राग सुनाओ
सोये समाज से भय का भूत भगाओ.

वन्दे मातरम -------

भारत माता की जय -------

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