सोमवार, 21 नवंबर 2022

रँगीले नेहरू




            आजादी और आधुनिक भारत के इतिहास की किताबें जवाहर लाल नेहरू के योगदान की बातों से भरी पड़ी हैं। इन्हे पढ़ें तो लगता है कि क्रांतिकारियों ने नहीं बल्कि गांधी-नेहरू ने आजादी की लड़ाई लड़ी और गांधी के बाद अगर किसी ने देश को आजादी दिलाई तो वो सिर्फ जवाहर लाल नेहरू ही थे। नेहरू की इसी विरासत को उनका परिवार आज भी भुना रहा है और तमाम भ्रष्टाचार और अनैतिक कामों के बावजूद राजनीति के केंद्र में बना हुआ है। 

            जवाहर लाल नेहरू और भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउण्टबेटन की पत्नी एडविना के बीच रिश्तों की बातें जग जाहिर हैं। लेकिन इस रिश्ते में क्या-क्या हुआ ये कम लोग ही जानते हैं। ऊपरी तौर पर देखा जाए तो ये महज प्रेम-संबंध का मामला था। लेकिन नेहरू ने अपनी प्रेमिका लिए जिस तरह से सरकारी संसाधनों का गलत इस्तेमाल किया वो जानकार हैरानी होती है। उस दौर में पत्रकार रहे खुशवंत सिंह और कुलदीप नैय्यर ने इन घटनाओं का जिक्र किया है। 

            जवाहर लाल अपनी प्रेमिका एडविना को लगभग रोज चिट्ठी लिखा करते थे। इन चिट्ठियों को लन्दन तक पहुँचाने की जिम्मेदारी एयर इण्डिया की हुआ करती थी। पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने अपनी किताब "एक जिन्दगी काफी नहीं" में लिखा है कि "एयर इण्डिया के हवाई जहाज से नेहरू का गुलाब की खुशबू से भीगा खत लन्दन में भारत के हाई कमिश्नर को सौंपा जाता था। हाई कमिश्नर की जिम्मेदारी होती थी कि वे उस खत को एडविना माउण्टबेटन तक पहुंचाएं। एडविना का जवाबी प्रेम पत्र एयर इण्डिया के ही सरकारी विमान से दिल्ली पहुँचता था और एयर पोर्ट से उसे तीन मूर्ति भवन तक पहुँचाने की जिम्मेदारी तब के बड़े अधिकारियों की होती थी। अगर कभी इन प्रेम पत्रों के आदान-प्रदान में देरी हो जाती थी तो नेहरू गुस्से में लाल हो जाते थे। यहाँ तक की किसी जरूरी सरकारी काम में व्यस्त होने के कारण भी देरी हो जाए तो नेहरू अफसरों को माफ नहीं करते थे।" सरकारी संसाधनों का अपने निजी काम के लिए इस्तेमाल करने की ये सबसे शर्मनाक मिसाल है। 

            पत्रकार खुशवंत सिंह ने भी जवाहर लाल नेहरू के "रँगीले स्वभाव" के बारे में कई जगहों पर लिखा है। खुशवंत 50 के दशक में लन्दन में भारतीय उच्चायोग में तैनात थे। उन्होंने बताया है कि "देर रात को नेहरू अचानक एडविना के घर पहुँच गए। इस बात की भनक लन्दन के पत्रकारों को लग गई। वो पत्रकार उसी वक्त एडविना के घर पहुँच गए। एक पत्रकार ने घर के अंदर बेडरूम में नेहरू और एडविना की कुछ अंतरंग तस्वीरें भी खींच लीं।" खुशवंत सिह का कहना था कि इस घटना के कारण नेहरू उन पर बहुत गुस्सा हुए। खुशवंत तब हाइकमीशन की तरफ से मीडिया को संभालने का काम करते थे, लिहाजा नेहरू को शक था कि खुशवंत सिंह ने ही मीडिया को बुलाकर उनके अवैध रिश्ते की पोल खुलवा दी। इस घटना का जिक्र एडविना माउण्टबेटन की बेटी पॉमेला हिक्स ने भी किया है। 

            आजादी के बाद जब देश की करोड़ों जनता बेहद गरीबी में जीवन बिता रही थी और देश तमाम चुनौतियों से गुजर रहा था, तब नेहरू का ज्यादातर वक्त एडविना से प्यार मोहब्बत की बातें करने में बीतता था। 21 फरवरी 1960 को जब एडविना का लन्दन में निधन हो गया तो नेहरू ने गेंदे के फूलों का गुलदस्ता भेजा। ये गुलदस्ता भारतीय नौसेना के जहाज "त्रिशूल" से भेजा गया था। ये वो दौर था जब चीन के साथ रिश्ते बिगड़ना शुरू हो गए थे। ऐसे वक्त में जब सेना को मजबूत करने की जरूरत थी, तब देश के प्रधानमंत्री नेहरू नौसेना के युद्धक जहाज का इस्तेमाल अपनी महबूबा को फूल भेजने में कर रहा था। 

            ऐसे थे भारत देश में बच्चों के चाचा के नाम से मशहूर जवाहर लाल नेहरू और उनकी रंगीन मिजाजी। 

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