शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

पृथ्वी न्यूज़ पेपर ( हास्य रचना )



हास्य रचना ------

(प्रस्तुत हास्य रचना कल्पना पर आधारित हास्य मात्र है। पृथ्वी से एक समाचार पत्र प्रकाशित होता है, जिसके संवाददाता सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड मे फ़ैले हुए हैं। जो कि अपने समाचार इस पृथ्वी न्यूज़ पेपर को भेजते है। प्रस्तुत है स्वर्ग से आए संवाददाता की रिपोर्ट) 

पृथ्वी न्यूज़ पेपर


                    आज स्वर्ग के संवाददाता स्वर्ग का भ्रमण कर वहाँ के समाचारों के साथ वापस धरती पर आ गये। संवाददाता ने बताया कि काफ़ी समय पूर्व ब्रह्मा जी ने पतियों के अनुकूल चलने वाली " पत्नी निर्माण" कारखाने को बन्द कर दिया है, तथा अब वहाँ पति के अनुकूल चलने वाली पत्नियों का "पुराना स्टाक" भी समाप्त हो गया है। इस तरह से अब ये तय हो गया है कि पति जो कहीं-कहीं "भेड़" के रूप में दिखता था अब कुछ ही समय में हर स्थान पर सुलभ होगा। "कर्कशा-पत्नियाँ" हर गली-कूचे-घर-कमरे-झोपड़ी में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होंगी, जो कि अपने-अपने "भेड़-पति" को अपने आदेशानुसार संचालित कर रही होंगीं।

                    वहीं विश्वस्त सूत्रों से हमारे संवाददाता को यह भी पता चला है कि भविष्य में होने वाले इस खतरे रूपी परिवर्तन पर पतियों और पति बनने की राह देख रहे "भावी पतियों" में खलबली मच गई है और उन्होने ऐसी स्थिति से निपटने के लिये इस पर कड़ी निगाह रखनी शुरू कर दी है, परन्तु "पत्नी-भय" के कारण संगठित नहीं हो पा रहे हैं।

                    हमारे संवाददाता ने कई "पत्नी-भय से क्लान्त पतियों" से बात करने की कोशिश की, ये भयभीत पति बात भी करना चाहते थे परन्तु अपनी पत्नियों की छवि को अपनी आँखों से दूर न कर पाने के कारण कुछ भी बात करने में असमर्थ रहे।

                    पृथ्वी पर संचालित सरकारें भी भविष्य में आने वाले इस "कर्कशा-पत्नी-भूचाल" से घबरा गईं हैं और इनसे निपटने की कार्ययोजना बना रही हैं, परन्तु इन्हे भी कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है।

               अब सब कुछ ब्रह्मा जी पर निर्भर है कि वे जल्द से जल्द "पतिनुकूल पत्नियों" का उत्पादन शुरू करें और पृथ्वी समेत सम्पूर्ण सृष्टि को इस भयावह स्थिति से निजात दिलायें।

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-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

( इस हास्य का मकसद किसी को किसी भी प्रकार का कष्ट देना नहीं है, फ़िर भी प्रस्तुत हास्य से किसी को भी किसी भी प्रकार का कष्ट पहुँचा हो तो मैं लेखक के रूप मे क्षमा प्रार्थी हूँ - गोपाल कृष्ण शुक्ल)

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