स्त्री का पतिव्रता होना स्त्री का प्रमुख गुण है। एक ही पति या पत्नी धर्म का पालन करना हिन्दू धर्म के कर्तव्यों मे शामिल है। भारत में अनगिनत ऐसी महिलायें हुईं हैं जिनकी पतिव्रता पालन की मिसाल दी जाती है। उनमे से कुछ ऐसी हैं जो इतिहास का अमिट हिस्सा बन चुकी हैं।
हिन्दू इतिहास के अनुसार इस संसार मे पाँच सती स्त्रियाँ हुईं, जो क्रमशः इस प्रकार हैं -
१- अनसुइया
२- द्रौपदी
३- सुलक्षणा
४- सावित्री
५- मंदोदरी
१- अनसुइया - पतिव्रता देवियों में अनसुइया का स्थान सबसे ऊँचा है। वे ऋषि अत्रि की पत्नी थी। एक बार त्रिदेव माता अनसुइया की परीक्षा लेने ऋषि अत्रि के आश्रम में भिक्षा मांगने गये और अनसुइया से कहा कि जब आप अपने संपूर्ण वस्त्र उतार देंगीं तभी हम भिक्षा स्वीकार करेंगें। तब माता अनसुइया ने अपने सतीत्व के बल पर तीनों देवों को अबोध बालक बना कर उन्हे भिक्षा दी। यह भी कहा जाता है कि माता अनुसुइया ने श्री राम के वनवास काल मे चित्रकूट प्रवास के समय माता सीता को पतिव्रत धर्म का उपदेश दिया था।
२- द्रौपदी - पाँच पाँडवों की पत्नी द्रौपदी को पाँच कुंवारी कन्याओं में भी गिना जाता है। द्रौपदी के पिता पाँचाल नरेश द्रुपद थे। द्रौपदी के स्वयंवर मे अर्जुन ने अपने वनवास काल में द्रौपदी को वरण किया। अर्जुन अपने अन्य भ्राताओं के साथ द्रौपदी को लेकर माता कुंती के पास अपनी कुटिया में पहुंचे तथा द्वार से ही पुकार कर अर्जुन ने अपनी माता कुंती से कहा, "माते ! आज हम लोग आपके लिये अदभुत भिक्षा ले कर आये हैं।" इस पर कुंती ने भीतर से ही कहा, "पुत्रों ! तुम लोग आपस में मिल-बाँट कर उसका उपभोग कर लो।" बाद में ग्यात होने पर कि भिक्षा वधू के रूप में है, कुंती को बहुत दुख हुआ। किन्तु माता के वचन को सत्य सिद्ध करने के लिये द्रौपदी ने पाँचों पाँडवों को पति के रूप में स्वीकार कर लिया।
३- सुलक्षणा - लंकाधिपति रावण के पुत्र मेघनाद (इंद्रजीत) की पत्नी सुलक्षणा को भी पाँच सती नारियों मे स्थान दिया गया है।
४- सावित्री - महाभारत के अनुसार सावित्री राजर्षि अश्वपति की पुत्री थीं। उनके पति का नाम सत्यवान था। सावित्री के पति सत्यवान की असमय मृत्यु के बाद सावित्री ने अपनी तपस्या के बल पर सत्यवान को यमराज के हाथों से वापस ले लिया था। सावित्री के नाम से ही वट सावित्री नामक व्रत प्रचलित है।
५ - मंदोदरी - मंदोदरी लंकाधिपति रावण की पत्नी थीं। हेमा नामक अप्सरा मंदोदरी की माता थी तथा मयासुर मंदोदरी के पिता थे। मंदोदरी लंकाधिपति रावण को हमेशा अच्छी सलाह देती थीं। यह भी कहा जाता है कि अपने पति रावण के मनोरंजन हेतु मंदोदरी ने ही शतरंज नामक खेल का आविष्कार किया था।