रविवार, 6 मई 2012

आन्तकवाद....... कारण और निवारण

                                                  भारत का बहुसंख्यक समाज मौजूदा समय में काफ़ी विकट परिस्थितियों और समस्याओं से घिरा हुआ है। देश की सीमा पर और देश के भीतर पाकिस्तानी संरक्षण और सहयोग से निरंतर आक्रमण हो रहे हैं। साथ ही बांग्लादेशी घुसपैठियों ने पश्चिमोत्तर प्रदेशों में आतंक मचा रखा है। पाकिस्तानी संरक्षण प्राप्त आतंकी और बाँग्लादेशी घुसपैठिये अक्सर भारत के विभिन्न शहरों/कस्बों मे अपने आतंक का नंगा नाच खेला करते हैं।

                                                 आज भारत देश की भारतीयता संकट में पडी हुई है। भारत का बहुसंख्यक समाज आज अपने ही देश में अपना स्थान खोता जा रहा है। भारतीय जनमानस को इसका कारण साफ़ दिखाई पड रहा है। राजनीति की आड में देशद्रोहियों/आतंकवादियो/घुसपैठियों को देश के कर्णधार अपने सिर-माथे पर बिठाये हुए हैं। साथ ही देश की जेलों मे बन्द देशद्रोहियों/आतंकवादियों/ घुसपैठियों को हर सुख-सुविधा मुहैय्या करा रहे हैं। इतना ही नही ये छद्म राजनैतिग्य बहुसंख्यक समाज के देश-प्रेमियों को भिन्न-भिन्न प्रकार की यातनाओं से प्रताडित करने से भी बाज नही आते।

                                                  विश्वास नही होता कि स्वतंत्र भारत के सत्ताधीश क्या उन्ही वीरों की वंशावलि हैं जो देश, संस्कृति और परम्पराओं के हित हेतु अपने प्राणों पर खेल कर उसकी रक्षा करते रहे, अपना बलिदान इन सबकी रक्षा हेतु देते रहे। अधिकांश राजनैतिग्यों में देश-हित मूल्यों का पतन हो गया है।

                                                 वर्तमान समय में हमारी परम्परा, आस्था, आचार-विचार, संस्कृति और धर्म पर घातक प्रहार हो रहे हैं। हमारे देश के कर्णधार राजनेताओं का सबसे घिनौना चेहरा तब सामने आता है जब किसी आतंकी घटना के बाद पुलिस/सैन्यबल आतंकवादियों को पकडता है, तब हमारे देश के ये कर्णधार राजनेता, मानवाधिकार संगठन और तथाकथित समाजसेवी धर्म-निर्पेक्ष की छवि का मुखौटा लगाकर हाय-तौबा मचाने लगते हैं। संगिग्ध आतंकवादियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन करते हैं। जिसका प्रतिकूल प्रभाव पुलिस/सैन्यबल पर पडता है। साथ ही इसके प्रभाव से इन संदिग्ध आतंकवादियों का उत्साहवर्धन होता है।

                                                  वर्तमान युग की यह आतंकवाद समस्या विकराल रूप में हमारे सामने, हमारे राष्ट्र तथा संपूर्ण मानवता के लिये सुरसा की भाँति मुँह फ़ाडे खडी है।

                                                  भारतीय संस्कृति के शत्रु इन आतताइयों की करतूतों का समाधान आज भी किया जा सकता है किन्तु हमारे देश के सत्ताधीश आतताइयों से जिस प्रकार से लड रहे है या उनसे निपटने की जो रणनीति अपनाये हुए हैं, उस तरीके और रणनीति से इस गम्भीर समस्या का समाधान होना असंभव है।

                                                 आतंकी तरह-तरह के रूप धारणकर समाज और देश में भारतीयता को समाप्त करने के लिये प्रयासरत रहते हैं, जैसा कि आज मजहब, धर्मान्तरण के रूप में हमारे सामने है। आज कभी छद्म धर्म-निरपेक्षिता, कभी सहिष्णुता, कभी भाई-चारा तो कभी जेहादियों के रूप में सामने आता है।

                                                श्रीमदभगत गीता (जिसे विश्व और विश्व का विद्वत-समाज सम्माननीय दृष्टि से देखता है) ने भी अन्यायी, अत्याचारी, व्यभिचारी तथा आतंकवादियों को कठोर और शक्ति के साथ दमन करने को उचित ठहराया है। साथ ही गीता में यह भी कहा गया है कि इनका मुकाबला न करने वाले या इनकी सहायता करने वाले सत्ताधारी अथवा जनमानस नपुंसक हैं।

                                                आश्चर्य की बात तो यह है कि हम इस आतंक से निपटने में स्वयं सक्षम हैं फ़िर भी भिरु बनकर अमेरिका, ब्रिटेन तथा फ़्रांस की सरकार और वहां की अन्य एजेंसियों के पैरों के तलवे चाटते घूम रहे हैं। ये सत्ताधीश ये भूल रहे हैं कि इन भ्रमपूर्ण छद्मवेशी निरर्थक आतंकरोधी योजनाओं से आतंकवाद खत्म होने वाला नही है।

                                                 अंत में यही कहना चाहता हूँ कि .. ऐ सत्ता धारियों चेत जाओ........ और अपने शास्त्रों मे उल्लिखित उपायों के द्वारा इन आसुरी शक्तियों का दमन करो और इन्हे निष्प्राण करो।



जय माँ भारती

वन्दे मातरम

भारत माता की जय

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