जीवन चल रहा है ------ चलता रहेगा। पर जब यह संसार छोड़ना पडेगा तब क्या होगा ?
कौन बताएगा जीवन का सत्य? धर्म का वास्तविक अर्थ? परमात्मा का सामीप्य प्राप्त करने का मार्ग? धर्म रक्षा के साधन? हम किससे जाने इन प्रश्नों के उत्तर?
आधुनिक युग के धर्म चर्चा करने वाले सुन्दर मुख-मुद्रा के आडम्बर ओढ़े तथा कथित कथावाचक केवल सुन्दर शब्दों एवं कंठ द्वारा पौराणिक कथाओं को सजा सकते है, पर जीवन का सत्य, धर्म का अर्थ, परमात्मा के सामीप्य का मार्ग, धर्म रक्षा के साधन, धर्म के लिये बलिदान होने की प्रेरणा नही दे सकते। वे योगेश्वर कृष्ण की रास लीला का बखान कर सकते है परन्तु उनके सुदर्शन चर्क्र का वर्णन नही कर सकते। धर्म गुरू बन कर अपने शिष्य मंडल की संख्या में वृद्धी कर सकते है पर धर्म रक्षक बन कर अपना बलिदान देने को तत्पर नही हो सकते। सुसज्जित पंडालो में पौराणिक कथाओं का संगीत युक्त वाचन-गायन कर अकूत धन-संपदा बना सकते है पर मानव-कल्याण हेतु अपनी अर्जित संपत्ति दान नही कर सकते।
ऐसे कथावाचक धर्म-चर्चा नही सिर्फ धन-चर्चा ही भलीभांति कर सकते है। धर्म के ऐसे व्याख्याकारो से सावधान !!
वन्दे मातरम ----------
भारत माता की जय ---------
जरुरी है सावधान रहना.
जवाब देंहटाएंsatik pardarshita k udbodhan k ley saadhu vaad sir ji.
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