भारत के बाहर थाईलैंड में आज भी संवैधानिक रूप मे राम-राज्य है। वहाँ भगवान श्री राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट "भूमिबल अतुल्य तेज" राज कर रहे हैं। जिन्हे नवां राम कहा जाता है।
- भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास -
वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रंथ होने के साथ एक एतिहासिक ग्रंथ भी है। महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे। रामायण के बालकाण्ड के सर्ग ७०, ७१, और ७३ में राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का वर्णन है। जिसका सारांश है-
'मिथिला के राजा सीरध्वज थे, जिन्हे लोग विदेह और जनक भी कहते थे। उनकी पत्नी का नाम सुनेत्रा (सुनयना) था। उनकी पुत्री सीता जी थी। जिनका विवाह राम से हुआ था।'
राजा जनक के कुशध्वज नाम के भाई थे। इनकी राजधानी साँकाश्य नगर थी, जो इक्षुमती नदी के किनारे थी। इन्होंने अपनी बेटी उर्मिला का लक्ष्मण से, माँडवी का भरत से और श्रुतिकीर्ति का विवाह शत्रुघ्न से कर दिया।
केशव दास रचित "रामचंद्रिका" के पृष्ठ ३५४ के अनुसार, राम और सीता के पुत्र लव और कुश, लक्ष्मण और उर्मिला के पुत्र अंगद और चंद्रकेतु, भरत और माँड़वी के पुत्र पुष्कर और तक्ष, शत्रुघ्न श्रुतिकीर्ति के पुत्र सुबाहु और शत्रुघात हुए।
श्रीराम के समय ही राज्यों का बँटवारा इस प्रकार हुआ था - पश्चिम मे लव को लवपुर (लाहौर), पूर्व मे कुश को कुशावती, तक्ष को तक्षशिला, अंगद को अंगद नगर, चंद्रकेतु को चंद्रावती।
कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाया और एक नागवंशी कन्या से विवाह किया था। थाईलैंड के राजा उन्ही कुश के वंशज हैं। इस वंश को "चक्री वंश" कहा जाता है। चूँकि राम को विष्णु का अवतार माना जाता है और विष्णु का आयुध चक्र है इसलिए ये वंश चक्री वंश कहलाता है। इसीलिए थाईलैंड के लोग चक्री वंश के हर राजा को "राम" की उपाधि देकर साथ मे एक संख्या देते हैं। जैसे- अभी राम (९ वें) राजा हैं। जिनका नाम "भूमिबल अतुल्य तेज" है।
लोग थाईलैंड की राजधानी को अंग्रेजी में बैंगकाक (Bangkok) कहते हैं। क्योंकि इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है कि इसे विश्व का सबसे बड़ा नाम माना जाता है। इसका नाम संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है। देवनागरी लिपि में पूरा नाम इस प्रकार है-
" क्रुङ्ग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिंद्रायुद्धा महातिलक भव नवरत्न राजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तीय विष्णु कर्म प्रसिद्ध "
थाई भाषा में इस पूरे नाम में १६३ अक्षरों का प्रयोग किया गया है। इस नाम की एक और विशेषता है, इसे बोला नहीं जाता बल्कि गा कर कहा जाता है। कुछ लोग आसानी के लिए "महेंद्र अयोध्या" (इन्द्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या) भी कहते हैं। थाईलैंड के जितने भी राम (राजा) हुए हैं सभी इसी अयोध्या में रहते आए हैं।
थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना सन १९३२ में हुई। बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं। इसलिए थाईलैंड में एक तरह से रामराज्य है। वहाँ के राजा को भगवान श्रीराम का वंशज माना जाता है।
भगवान राम के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हे निजी या सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता है, क्योंकि वे पूजनीय हैं। थाई शाही परिवार के सदस्यों के सम्मुख थाई जनता उनके सम्मानार्थ सीधे खड़ी नहीं हो सकती है, बल्कि उन्हे झुककर खड़े होना पड़ता है। मौजूदा समय के राजा की तीन पुत्रियाँ हैं। उनमें से एक हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं।
थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध लोग बहुसंख्यक हैं, परन्तु वहाँ का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण ही है। जिसे थाई भाषा मे "राम-किएन" कहते हैं। राम-कियेन का अर्थ "राम-कीर्ति" है, जो कि वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। इस ग्रन्थ की मूल प्रति सन १७६७ मे नष्ट हो गई थी, जिसे चक्री राजा प्रथम राम (१७३६-१८०९), ने अपनी स्मरण शक्ति से पुनः लिपिबद्ध कर लिया था। थाईलैंड मे रामायण को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करना इसलिए संभव हुआ, क्योंकि वहाँ हिन्दू धर्म के आराध्य श्रीराम पर अटूट श्रद्धा है।
थाईलैंड में राम कियेन पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन करना और उसे देखना धार्मिक कार्य माना जाता है। राम कियेन के मुख्य पात्रों के नाम इस प्रकार हैं -
१- राम (राम), २- लक (लक्ष्मण), ३- पाली (बाली), ४- सुक्रीप (सुग्रीव), ५- ओंकोट (अंगद), ६- खोमपून (जांबवंत), ७- बिपेक (विभीषण), ८- तोतस कन (दशकण्ठ, रावण), ९- सदायु (जटायु), १०- सुपन माच्छा (शूर्पणखा), ११- मारित (मारीच), १२- इन्द्रचित (इंद्रजीत, मेघनाथ), १३- फ्र पाई (वायु देव ) इत्यादि। थाई राम कियेन में हनुमान की पुत्री और विभीषण की पत्नी के नामों का भी उल्लेख है।
थाईलैंड में बौद्ध भी जिन हिन्दू देवताओं की पूजा करते हैं, उनके नाम इसप्रकार हैं-
१- ईसुअन (ईश्वर, शिव), २- नाराइ (नारायण, विष्णु), ३- फ्राम (ब्रह्म, ब्रह्मा), ४- इन (इन्द्र), ५- आथित (आदित्य, सूर्य) ६- पाय (पवन, वायु)।
थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड है। गरुड एक बड़े आकार का पक्षी है, जो लगभग लुप्त हो चुका है। अंग्रेजी में इसे ब्राह्मणी पक्षी (The Brahminy Kite) कहा जाता है। फ्रेंच पक्षी विशेषज्ञ मथुरिन जैक्स ब्रिसन ने इसे सन १७६० में पहली बार दक्षिण भारत के पांडिचेरी शहर के पहाड़ों मे देखा था और इसका नाम Falco indus रख दिया था। इस से सिध्द होता है कि गरुड कोई काल्पनिक पक्षी नहीं है। भारतीय पौराणिक ग्रन्थों में गरुड को विष्णु का वाहन माना गया है। चूँकि राम, विष्णु के अवतार हैं और थाईलैंड के राजा राम के वंशज हैं तथा बौद्ध होने पर भी हिन्दू धर्म में अटूट आस्था रखते हैं, इसलिए उन्होंने गरुड को थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह घोषित किया है। थाई संसद के सामने भी गरुड़ बना हुआ है।
थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे का नाम सुवर्ण भूमि है। यह आकार के मुताबिक दुनिया का दूसरे नंबर का हवाई अड्डा है। इसके स्वागत हाल के अन्दर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ है। जो भी व्यक्ति हवाई अड्डे के हाल में जाता है वो इस दृश्य को देख कर मंत्रमुग्ध हो जाता है।
आशा है की थाईलैंड के विषय मे यह जानकारी आपको पसंद आई होगी।
जय श्री राम
वन्दे मातरम