सन 1953 दिनांक 29 मई को एवरेस्ट पर अपना पहला कदम रखने वाले एडमंड हिलेरी ने इतिहास रचा। अपार जीवट वाले हिलेरी ने उसके बाद भी हिमालय की दस और चोटियों की चढाई की। हिलेरी उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर भी गये तथा विजय हासिल की।
लेकिन यह तथ्य बहुत कम लोग जानते होंगे कि एक समय ऐसा भी आया जब यही हिलेरी माँ गंगा से हार गये थे। जोशीमठ और श्रीनगर के सरकारी दस्तावेजों में हिलेरी के इस अधूरे अभियान का लेखा-जोखा मिलता है।
सन 1977 मे हिलेरी "सागर से आकाश" नामक इस अभियान में निकले थे। हिलेरी का मकसद था कोलकाता से बद्रीनाथ तक माँ गंगा की धारा के विपरीत जल प्रवाह पर विजय हासिल करना। हिलेरी के इस दुस्साहसी अभियान में तीन जेट नौकाओं का बेडा था। 1- गंगा, 2- एयर इन्डिया, 3- कीवी। हिलेरी की टीम में 18 लोग शामिल थे जिनमें एक उनका बेटा भी था। हिलेरी का यह अभियान उस समय चर्चा का विषय बना हुआ था।देश-विदेश की निगाहें उन पर लगीं थीं।
हिलेरी कोलकाता से पौढी गढवाल के श्रीनगर तक बिना किसी बाधा के पहुँच गये, यहां कुछ देर रुकने के बाद बद्रीनाथ के लिये निकल पडे।
हिलेरी से श्रीनगर मे एक पत्रकार ने साक्षात्कार भी लिया था, जिसे श्रीनगर की नगर पालिका की सन 1977 की स्मारिका में भी देखा जा सकता है। पत्रकार ने हिलेरी से पूछा कि "क्या आप अपने इस मिशन में कामयाब हो पायेंगे? हिलेरी ने पूरे आत्मविश्वास से जवाब दिया कि "जरूर, मेरा मिशन जरूर सफ़ल होगा।"
श्रीनगर से कर्णप्रयाग तक गंगा की लहरें हिलेरी को चुनतियाँ देती रहीं और ललकारती रहीं। नंदप्रयाग के पास गंगा के तेज बहाव और खडी चटानों से घिर जाने पर उनकी नावें आगे नही बढ पायीं। हिलेरी ने तमाम कोशिशें की पर अन्त मे हिलेरी को हार माननी पडी और एडमंड हिलेरी को बद्रीनाथ से काफ़ी पहले नंदप्रयाग से ही वापस लौटना पडा। "सागर से आकाश" तक का हिलेरी का यह अभियान सफ़ल नही हो पाया।
नंद प्रयाग से हिलेरी सडक मार्ग से वापस लौटे। रास्ते मे उनसे कई लोगों ने कहा कि "माँ गंगा को जीतना सरल नही।"
माँ गंगा से हार जाने की कसक हिलेरी के मन में आजीवन रही। हिलेरी जब दस साल बाद दोबारा उत्तरकाशी के नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में आये तो उन्होने विजिटर बुक में लिखा - "मनुष्य प्रकृति से कभी नही जीत सकता, हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिये।"
जय माँ गंगे-------------------
वन्दे मातरम-----------------
भारत माता की जय-----------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें