कानपुर के गौरव शहीद शालिग्राम शुक्ल का आज बलिदान दिवस है| माँ भारती के इस वीर सपूत का नाम और माँ भारती की आजादी के लिये दिये गये बलिदान को कम ही लोग जानते हैं|वीर शहीद शालिग्राम शुक्ल कानपुर ( उत्तर प्रदेश ) के रहने वाले थे।
चंद्रशेखर आजाद के गुप्त संगठन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी के कानपुर केन्द्र के चीफ शालिग्राम शुक्ल थे |शालिग्राम शुक्ल ने चंद्रशेखर आजाद से पिस्तौल चलाने का प्रशिक्षण लिया था|
कानपुर प्रवास के समय चंद्रशेखर आजाद और शालिग्राम शुक्ल अपने संगठन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी को और मजबूत करने की योजना बनाने हेतु तत्कालीन डी ए वी हाईस्कूल (अब डी ए वी कालेज) में बैठक किया करते थे| शालिग्राम शुक्ल डी ए वी कालेज छात्रावास में ही रहते थे| चंद्रशेखर आजाद अपने कानपुर प्रवास के समय अक्सर शालिग्राम शुक्ल के पास ही रुकते थे|
1 दिसंबर 1930 के दिन पौ फटने के करीब एक घंटे बाद शालिग्राम शुक्ल जब डी ए वी कालेज छात्रावास की ऊपरी मंजिल से उतरकर नीचे आए और फाटक पर पहुंचे तो सीआईडी इंस्पेक्टर शंभुनाथ ने उनका हाथ पकड़ लिया। शालिग्राम शुक्ल को यह समझते देन न लगी कि चंद्रशेखर आजाद के यहाँ मौजूद होने का भेद पुलिस को मिल गया है। उन्होंने एक ही झटके में अपने को मुक्त कर लिया और शंभुनाथ पर गोली चलाई। इंस्पेक्टर दीवार से सटे नाले में कूद गया, नाले से सिपाही बाहर आ गए। शालिग्राम शुक्ल पूरी तरह से घिर गए। उन्होंने चिल्ला कर आस पास रहने वाले अपने साथियों को सावधान कर दिया। चंद्रशेखर आजाद शालिग्राम शुक्ल की ओर मादा के लिये लपके। पर परिस्थिति भांपते ही वे छुप गए। आजाद चाहते थे कि पुलिस पर पीछे से आक्रमण कर शालिग्राम शुक्ल की सहायता की जाए। लेकिन सौ सवा सौ पुलिस वालों से आठ दस व्यक्तियों का मुकाबला व्यर्थ था। फिर उनके अन्य साथी भी इस योजना से सहमत नहीं थे।
ऐसी विषम स्थिति में भी पिस्तौल की पांच गोलियों से शालिग्राम ने पांच पुलिस वालों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। पुलिस की गोली से शालिग्राम भी गंभीर रूप से घायल हो गया और उसी दिन वह शहीद हो गए।
आजादी के ऐसे दिवानों की गाथा हमें हर समय प्रेरणा देती रहेगी।
कानपुर के गौरव शहीद शालिग्राम शुक्ल को शत-शत नमन....
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
माँ भारती के ऐसे वीर सपूत को शत शत नमन ! गोपाल भाई साहब ! ऐसी अनमोल जानकारी को साझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
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